
FTII के दिनों की वो रात: जब मिथुन और शक्ति कपूर ने कहा – हम कभी हीरो नहीं बन पाएंगे
यह किस्सा 1970 के शुरुआती वर्षों का है, जब टॉम ऑल्टर, मिथुन चक्रवर्ती और शक्ति कपूर पुणे के Film and Television Institute of India (FTII) में अभिनय की ट्रेनिंग ले रहे थे। वह दौर बॉलीवुड में बदलाव का था — नए चेहरे आ रहे थे, लेकिन पहचान बनाने की राह बेहद कठिन थी।
💡 वो रात, जब उम्मीद खो चुकी थी…
एक दिन टॉम ऑल्टर किसी निजी काम से बाहर गए और जब रात में कैंपस लौटे, तो उन्होंने देखा कि FTII के मशहूर “विज़डम ट्री” के नीचे मिथुन और शक्ति कपूर बेहद उदास बैठे थे। उनके चेहरे लटक रहे थे, जैसे कोई गहरा मानसिक बोझ हो।
जब टॉम ऑल्टर ने उनसे वजह पूछी, तो मिथुन ने लगभग हार मानते हुए कहा,
“हमारी शक्लें हीरो जैसी नहीं हैं। लगता है हम कभी हीरो नहीं बन पाएंगे।”
उस वक़्त टॉम ऑल्टर को ये बात चुभ गई। उन्होंने दोनों की ओर देखा और कहा –
“लिख कर रख लो, इस बैच से अगर कोई असली स्टार निकलेगा, तो वो तुम दोनों ही होगे।”
🎬 संघर्ष, सब्र और सफलता
इस किस्से को सुनकर यह लगता है कि शुरुआत में हर कलाकार को खुद पर संदेह होता है। लेकिन वही संदेह, अगर सही दिशा मिले, तो प्रेरणा बन सकता है।
टॉम ऑल्टर की ये बात एक प्रेरणा बन गई।
- मिथुन ने 1976 में मृगया फिल्म से डेब्यू किया, और पहले ही प्रयास में नेशनल अवॉर्ड जीत लिया।
- शक्ति कपूर ने भी 1980s और 90s में विलेन और कॉमेडी दोनों में धाक जमा दी।
🧠 विज़डम ट्री: FTII का साक्षी
FTII का विज़डम ट्री आज भी उन हजारों छात्रों के लिए प्रेरणा का केंद्र है, जिनका सपना बॉलीवुड की चकाचौंध में जगह बनाना है। उसी पेड़ के नीचे बैठकर कितने कलाकारों ने खुद को खोजा है — यह किस्सा भी उस विरासत का हिस्सा बन गया।
💬 एक सबक हम सभी के लिए
यह कहानी सिर्फ बॉलीवुड के दो दिग्गजों की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की है जो अपने सपनों को लेकर डगमगाता है।
“शक्ल नहीं, हौसले मायने रखते हैं।”
इस एक लाइन में मिथुन और शक्ति कपूर की यात्रा समाई हुई है।