किस्सा जॉनी वॉकर के बचपन का ।

आज बेस्ट बसों के इतिहास का बहुत ही स्पेशल दिन है साथियों। साल 1926 में आज ही के दिन बेस्ट बसों की शुरुआत हुई थी। यानि आज 99 साल हो गए हैं बेस्ट बस सर्विस के। और अगले साल सौ साल हो जाएं। सलामत रहे तो अगले साल बेस्ट बसों की रोचक बातों से जुड़ा एक लेख ज़रूर पोस्ट करेंगे। फिलहाल तो ये जानते हैं कि जॉनी वॉकर जी बेस्ट बस में कंडक्टर बने कैसे थे। ज़नी वॉकर बेस्ट में बस कंडक्टर थे, ये तो सभी जानते हैं। लेकिन उनके कंडक्टर बनने की कहानी भी कोई कम रोचक नहीं है। जॉनी वॉकर जी के पुत्र, व खुद भी एक एक्टर, नासिर खान जी ने अपने एक यूट्यूब वीडियो में ये कहानी बताई थी।

कहानी शुरू होती है जॉनी वॉकर के बचपन से। बचपन में एक दफ़ा जॉनी जी की आंख में कुछ दिक्कत हुई थी। उस वक्त तो खैर वो जॉनी नहीं थे। बदरुद्दीन थे। लेकिन हम उन्हें जॉनी ही कहेंगे। तो जब उनकी आंख में दिक्कत आई तो उनके माता-पिता उन्हें लोकल डिस्पेंसरी में ले गए। उस दिन वहां डॉक्टर नहीं थे। कपाउंडर था। उस कंपाउंडर ने जॉनी जी की आंख देखी। और फिर एक दवाई आंख में डाल दी। लेकिन वो गलत दवाई उसने डाली। जॉनी जी की आंख में बहुत तेज़ दर्द हुआ। वो बहुत परेशान हुए। लेकिन कपाउंडर ने कहा कि कुछ देर में ठीक हो जाएगा। इन्हें घर ले जाओ। जॉनी जी के माता-पिता उन्हें घर ले आए।

अगले कुछ दिनों तक जॉनी जी की आंख में जलन रही। और फिर कुछ दिन बाद उनकी बांई आंख में धुंधलापन छा गया। यानि बांई आंख से उन्हें कुछ भी साफ़ नहीं दिखता था। और ये दिक्कत उनके साथ ताउम्र रही थी। यानि जॉनी वॉकर जी को हम और आप जब फ़िल्मों में कॉमेडी करते देखते थे तो हमें अंदाज़ा भी नहीं होता था कि उनकी एक आंख खराब है। खैर, समय गुज़रा। एक आंख से कम दिखने की वजह से जॉनी जी देखने के लिए सारा ज़ोर अपनी सही वाली आंख पर डाला करते थे। इससे हुआ ये कि उनकी उस एक आंख की रोशनी तेज़ हो गई। और उनकी याद्दाश्त भी सरप्राइज़िंगली बहुत शार्प हो गई।

जॉनी वॉकर जब बड़े हुए और उन्होंने BEST में बस कंडक्टर की नौकरी के अप्लाय किया, तो उन्हें पता चला कि वहां तो नौकरी से पहले मेडिकल टेस्ट होता है। और नौकरी उसे ही मिलती है जो मेडिकल टेस्ट में पूरी तरह फ़िट आए। उस वक्त जॉनी वॉकर को लगा कि उन्हें ये नौकरी नहीं मिलेगी। क्योंकि जब आंखों की जांच होगी तो वो उसमें फेल ही हो जाएंगे। पर चूंकि उस वक्त नौकरी की उन्हें बहुत ज़रूरत थी तो उनके दिमाग में एक तरकीब आई। मेडिकल जांच से एक दिन पहले वो सुबह जल्दी BEST के ऑफिस पहुंचे और मेडिकल रूम में जाकर आंखों के डॉक्टर की कुर्सी के पास लगे चार्ट को अच्छी तरह से याद कर लिया।

चूंकि ईश्वर ने जॉनी वॉकर को कमाल की याददाश्त तोहफे में दी थी तो अपनी दांयी आंख पर हाथ रखकर उन्होंने उस चार्ट में लिखे अंग्रेजी और हिंदी के सभी अक्षरों को अच्छी तरह से याद कर लिया। वो पूरा चार्ट उनके दिमाग में छप गया। अगले दिन जब वो मेडिकल टेस्ट के लिए पहुंचे और उनकी आंखों की जांच का वक्त आया तो डॉक्टर ने उनकी दोनों आंखों का टेस्ट शुरू किया। पहले डॉक्टर ने उनकी बांयी आंख एक हाथ से बंद कराई और चार्ट पढ़ने को कहा। दांयी आंख में तो कोई दिक्कत थी ही नहीं। इसलिए जॉनी ने बिना किसी परेशानी के तुरंत वो चार्ट पढ़ डाला। अब बारी आई बांयी आंख से वो चार्ट पढ़ने की।

जॉनी वॉकर ने अपनी दांयी आंख बंद की और वो चार्ट जो एक दिन पहले वो रटकर गए थे वो एक सांस में पूरा पढ़ दिया। और इसमें काम आई उनकी शार्प मैमोरी यानि तेज याददाश्त। बांयी आंख से उन्हें कुछ भी नहीं दिखता था। लेकिन अपनी याददाश्त की मदद से जॉनी उस मेडिकल टेस्ट में पास हो गए। और इस तरह जॉनी वॉकर को BEST में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई। जो उन्होंने दो सालों तक की थी। #best #bestbus #bestbusmumbai #johnnywalker #johnnywalkercomedian #BusConductor